ख्वाहिशें बहुत हैं ज़िन्दगी में पर वक्त बहुत है कम . बीते जो सुकून से उस वक्त को तलाशते हम.. हर एक क... ख्वाहिशें बहुत हैं ज़िन्दगी में पर वक्त बहुत है कम . बीते जो सुकून से उस वक्त को...
घर के बड़े; पहरेदार होते हैं घर की खुशियों और एकता के। घर के बड़े; पहरेदार होते हैं घर की खुशियों और एकता के।
अच्छा हुआ तुम आ गई। देखो , तुम्हारी बहन पता नहीं क्यों रोए जा रही है।" अच्छा हुआ तुम आ गई। देखो , तुम्हारी बहन पता नहीं क्यों रोए जा रही है।"
पंद्रह आते आते दीपिका एक सफ़ल, सजग, संपन्न और सुलझी हुई शख्सियत बन चुकी थीं। पंद्रह आते आते दीपिका एक सफ़ल, सजग, संपन्न और सुलझी हुई शख्सियत बन चुकी थीं।
दिलचस्प नज़ारे देखने आपको मिलेंगे दिलचस्प नज़ारे देखने आपको मिलेंगे
एक पल के लिए सुदीप को लगा जैसे आंखों में अचानक धुआं भर गया है। एक पल के लिए सुदीप को लगा जैसे आंखों में अचानक धुआं भर गया है।